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राजस्थान के 2,710 स्कूल भवन जर्जर हालत में, 254 करोड़ रुपये की मरम्मत राशि मंजूरी के इंतज़ार में

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जयपुर, 28 जुलाई 2025: राजस्थान में सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग की हालिया रिपोर्ट ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 2,710 स्कूल भवन ऐसे हैं जिन्हें तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है, जबकि इसके लिए प्रस्तावित 254 करोड़ रुपये की राशि अभी तक वित्त विभाग से मंजूरी के इंतज़ार में है।

यह चौंकाने वाला खुलासा ऐसे समय सामने आया है जब हाल ही में झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूम छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना के बाद सरकार की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक सुस्ती पर व्यापक बहस शुरू हो गई है।

रिपोर्ट में क्या है खुलासा?

शिक्षा विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि:

पिछले वित्तीय वर्ष (2024-25) में 710 स्कूलों के लिए ₹79.24 करोड़ की मरम्मत राशि प्रस्तावित की गई थी।

चालू वित्तीय वर्ष (2025-26) में 2,000 और स्कूल भवन चिन्हित किए गए, जिनके लिए ₹174.97 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया गया।

इस प्रकार, कुल ₹254 करोड़ की राशि से 2,710 स्कूल भवनों की मरम्मत की योजना है, लेकिन अभी तक यह धनराशि वित्त विभाग से स्वीकृत नहीं हो पाई है।

सरकार की तात्कालिक प्रतिक्रिया

झालावाड़ हादसे के बाद, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय ने तात्कालिक कदम उठाए हैं:

1,936 स्कूलों की आपात मरम्मत के लिए ₹169.5 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।

7,500 स्कूलों में वर्षा प्रभावित भवनों की मरम्मत के लिए ₹150 करोड़ का प्रस्ताव अलग से तैयार किया गया है, जो आपदा प्रबंधन निधि से जुड़ा हुआ है।

30 जुलाई तक सभी जिलों से स्कूल भवनों की संरचनात्मक स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई है।

जर्जर भवनों में चल रही हैं कक्षाएं

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य में 2,256 स्कूल भवनों को पहले ही ‘जर्जर’ घोषित किया जा चुका है। इन स्कूलों में अभी भी हजारों छात्र रोजाना शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा बना हुआ है। कई जिलों में अब कंटेनर कक्षाओं की अस्थायी व्यवस्था शुरू की जा रही है।

जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को प्राथमिकता के आधार पर स्कूलों की मरम्मत के लिए बजट मंजूरी देनी चाहिए। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर नाराज़गी जताई जा रही है और कई शिक्षकों व अभिभावकों ने जर्जर स्कूलों की तस्वीरें साझा की हैं।

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Neha Rathore is a health and science writer based in Lucknow, reporting on medical research, coronavirus updates, and wellness trends. With a background in life sciences and over 4 years in health journalism, she simplifies scientific topics for the general public.
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