अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अगस्त 2025 से भारत से आयातित सभी सामान पर 25% टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है, साथ ही भारत द्वारा रूसी तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद पर एक अप्रकाशित अतिरिक्त दंड (penalty) भी लगाया जाएगा । उनका कहना है कि भारत के ऊँचे आयात शुल्क और रूस के साथ संबंध “ALL THINGS NOT GOOD!” हैं । ट्रम्प ने सोशल मीडिया Truth Social पर लिखा:
“I don’t care what India does with Russia. They can take their dead economies down together” ।

यह कार्रवाई पिछले प्रशासन में अर्जित 26% टैरिफ के करीब है, लेकिन हाल में होने वाले व्यापार समझौतों के मद्देनजर और इसलिए समयसीमा के पहले की गई है ।
भारत की प्रतिक्रिया: किसान, सरकार और विपक्ष एक साथ खड़े
सरकारी प्रतिक्रिया
31 जुलाई को संसद में वाणिज्य मंत्री पियुष गोयल ने स्पष्ट किया कि सरकार अपने किसानों, छोटे उद्योगों और एमएसएमई की रक्षा की हर संभव कोशिश करेगी (trade minister Piyush Goyal said) । भारत फिलहाल इस स्थिति के नुकसान पर अध्ययन कर रहा है और जल्द ही इसका निवारणात्मक रास्ता अपनाने की तैयारी कर रहा है ।
विपक्ष की तीखी आलोचना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि “भारतीय विदेश नीति और आर्थिक नीति दोनों ही मोदी सरकार की गलत दोस्ती के कारण प्रभावित हुई है”, और यह सफलता नहीं बल्कि असफलता साबित हुई है ।
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भी “MIGA + MAGA” (Make In India, Go Abroad + Make America Great Again) स्लोगन को व्यंग्यात्मक रूप में लिया और कहा —
“सराहना ही सराहना में tariff लग गया” — नीतिगत व व्यक्तिगत दोस्ती कुछ काम नहीं आई ।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: बाजार, मुद्रा और संभावित आर्थिक नुकसान
शेयर बाजार और मुद्रा – टैरिफ की खबर के बाद निफ्टी 50 और सेंसेक्स में गिरावट आई, लगभग 0.9% की शुरुआती गिरावट के बाद बाजार ने थोड़ी रिकवरी की लेकिन अंततः लगभग 0.4% की गिरावट पर बंद हुआ। रुपया भी ₹87.595 प्रति डॉलर पर जाकर बंद हुआ, जो पिछले पाँच माह का निचला स्तर रहा ।
आर्थिक अनुमान – कुछ अर्थशास्त्रियों की राय में, टैरिफ से भारत की जीडीपी वृद्धि में लगभग 0.3–0.4 प्रतिशत की कटौती हो सकती है; अनुमान है कि निर्यात में लगभग $10–11 अरब का नुकसान हो सकता है ।
कृषि, टेक्सटाइल, रत्न‑गहना, फार्मा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है ।
विशेष ध्यान – हालांकि, भारतीय फार्मा सेक्टर का कहना है कि इस टैरिफ से भारत को उतना लाभ नहीं होगा जितना कि अमेरिकी स्वास्थ्य‑उद्योग को नुकसान होगा, क्योंकि भारत अमेरिका को लगभग आधा जेनेरिक दवाई आपूर्ति करता है ।
इलेक्ट्रॉनिक्स (जैसे iPhones) फिलहाल इस टैरिफ से मुक्त हैं, लेकिन अगर इसमें बदलाव हुआ—तो Apple जैसे कंपनियों को अमेरिकी बाजार में कीमतों की पुनर्विचार करनी पड़ सकती है ।
वैचारिक और रणनीतिक प्रभाव: भारत‑अमेरिका संबंधों की दिशा बदली?
शीत संबंध – ट्रम्प की टिप्पणियाँ जैसे कि “हमारी भारत से बहुत कम व्यापार हुआ है” और “भारत और रूस की अर्थव्यवस्था मरी हुई है”, रणनीतिक साझेदारी पर छाया डाल रही हैं । उन्होंने पाकिस्तान के साथ नई तेल साझेदारी की तरफ भी संकेत दिया है, जिससे भारतीय रणनीतिक संतुलन पर सवाल उठते हैं ।
व्यापार वार्ता में ठहराव – फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान “Mission 500” के तहत व्यापार बढ़ाने की योजना बनी थी, लेकिन अब यह प्रस्ताव असमंजस की स्थिति में है ।
भारत अपनी खेती‑पोषण सीमाओं पर अड़ा है – कृषि एवं डेयरी क्षेत्र पर भारत के प्रतिबंधों को ट्रम्प प्रशासन सबसे बड़ी बाधा मान रहा है, और इसे खोलने पर जोर दे रहा है । भारतीय नीति अस्थिर नहीं हुई, बल्कि सुनिश्चित है कि किसानों के हित सुरक्षित रहें ।