नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025 — भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 30 जुलाई 2025 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के साथ मिलकर विकसित किए गए उपग्रह NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों को बेहद उच्च सटीकता के साथ ट्रैक करने की क्षमता रखता है।
इस ऐतिहासिक मिशन को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग का भी एक शानदार उदाहरण है।

NISAR: विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संयुक्त क्रांति
NISAR उपग्रह को पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें दो प्रकार के सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हैं — L-बैंड रडार (NASA द्वारा निर्मित) और S-बैंड रडार (ISRO द्वारा विकसित)। यह प्रणाली उपग्रह को इस योग्य बनाती है कि वह बर्फीले क्षेत्रों, वनों, कृषि भूमि, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों और समुद्री तटों जैसे संवेदनशील इलाकों की गहराई से निगरानी कर सके।
उपग्रह लगभग 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएगा और हर 12 दिन में दो बार पूरी पृथ्वी की सतह का सर्वेक्षण करेगा। यह सेंटीमीटर स्तर की सटीकता के साथ ज़मीन के बदलावों को दर्ज करेगा, जिससे वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन, हिमनदों के पिघलने, भूकंप, ज्वालामुखी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान में मदद मिलेगी।
वैश्विक सहयोग का प्रतीक
NISAR मिशन भारत-अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। NASA और ISRO ने इस प्रोजेक्ट में मिलकर काम किया, जहां NASA ने L-बैंड रडार, सोलर पैनल और हाई-रेट डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम मुहैया कराया, जबकि ISRO ने उपग्रह के S-बैंड रडार, लॉन्च व्हीकल (GSLV), और ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम की जिम्मेदारी निभाई।
इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग $1.5 बिलियन (करीब ₹12,500 करोड़) आंकी गई है, जिसमें से NASA का हिस्सा $1.2 बिलियन और ISRO का योगदान $91 मिलियन है।
NASA की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. निक्की फॉक्स ने कहा, “NISAR एक ऐसा मिशन है जो पृथ्वी को समझने में क्रांति ला सकता है। भारत और अमेरिका की साझेदारी आने वाले वर्षों में पर्यावरणीय खतरों को समय रहते पहचानने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।”
ISRO की नई उपलब्धियों की श्रृंखला
NISAR मिशन इसरो की लगातार बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका को दर्शाता है। इसके अलावा इसरो ने हाल ही में गगनयान मानवयुक्त मिशन की टेस्टिंग, चंद्रयान-4 की योजना, और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) की घोषणा जैसे कदम भी उठाए हैं।
पूर्व ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने हाल ही में कहा, “भारत अब न केवल लॉन्चिंग और डेटा प्राप्ति तक सीमित है, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान में नेतृत्व करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।”
स्टार्टअप भी हो रहे हैं शामिल
भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप का योगदान भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में हैदराबाद स्थित Dhruva Space ने घोषणा की है कि उसका पहला व्यावसायिक उपग्रह मिशन LEAP-1, इस साल की तीसरी तिमाही में SpaceX Falcon 9 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा।
इस उपग्रह में ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों Akula Tech और Esper Satellites द्वारा विकसित हाईपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग और AI आधारित उपकरण शामिल होंगे। यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की मजबूती को दर्शाती है।
अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर प्रभाव
NISAR जैसे मिशन पर्यावरणीय आपदाओं की समय रहते पहचान करने में मदद करेंगे, जिससे जान-माल की हानि को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही यह डाटा कृषि, वन संरक्षण, जल संसाधन प्रबंधन, और शहरी नियोजन जैसे क्षेत्रों में नीति-निर्माताओं को वैज्ञानिक निर्णय लेने में मदद करेगा।
NISAR के डाटा को ISRO के “भुवन” पोर्टल और NASA के EarthData सिस्टम पर सार्वजनिक किया जाएगा ताकि छात्र, शोधकर्ता और सरकारी एजेंसियां इसका उपयोग कर सकें।