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जीएसटी सुधार और रुपये की रिकॉर्ड गिरावट: भारतीय अर्थव्यवस्था के दो अहम मोर्चे

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नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025 आज देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी दो बड़ी खबरें सुर्खियों में रहीं—एक तरफ सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार की घोषणा की, वहीं दूसरी ओर भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। दोनों घटनाएं आने वाले समय में भारत की आर्थिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

जीएसटी 2.0: कर व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने “GST 2.0” नामक नए कर ढांचे का ऐलान किया है। इस ढांचे के तहत अब केवल दो मुख्य कर दरें होंगी—5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। इसके अलावा, लक्ज़री और ‘पाप उत्पादों’ पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी।

पुराने 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब हटा दिए गए हैं। साथ ही, स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को कर-मुक्त कर दिया गया है, जिसे आम जनता और उद्योग जगत लंबे समय से मांग रहे थे।

नई व्यवस्था 22 सितंबर 2025 से लागू होगी। सरकार को उम्मीद है कि त्योहारी सीजन में इसका सकारात्मक असर उपभोग और बाज़ार पर दिखेगा।

राजस्व पर असर

हालांकि, केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि इन सुधारों से शुरुआती दौर में करीब ₹48,000 करोड़ के राजस्व घाटे की संभावना है। लेकिन सरकार का तर्क है कि बढ़ते उपभोक्ता खर्च और कर संग्रहण में सुधार से यह घाटा धीरे-धीरे संतुलित हो जाएगा।

राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कर दरें घटाने से तात्कालिक राहत तो मिलेगी, परंतु यदि आय और रोज़गार के अवसर नहीं बढ़ते, तो इसका दीर्घकालिक असर सीमित हो सकता है। फिर भी, कर ढांचे की सादगी को उद्योग और आम जनता दोनों ही स्वागत योग्य मान रहे हैं।

रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर

दूसरी ओर, विदेशी मुद्रा बाज़ार में भारतीय रुपया 88.36 प्रति डॉलर के स्तर तक गिर गया—जो अब तक का सबसे निचला स्तर है।

गिरावट की वजह

रुपये की कमजोरी का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा भारत पर नए आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की आशंका है। इससे विदेशी निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है और सितंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने $1.4 बिलियन की निकासी की है। पूरे 2025 में यह आंकड़ा $16 बिलियन से ऊपर पहुंच चुका है।

RBI की संभावित कार्रवाई

ऐसे संकेत मिले हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ₹88.30 के स्तर पर हस्तक्षेप किया, जिससे रुपये की और तेज़ गिरावट पर रोक लगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि अमेरिकी शुल्क लागू हो जाते हैं, तो रुपया आने वाले महीनों में और कमजोर होकर ₹89 प्रति डॉलर तक जा सकता है।

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