नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025 भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करते हुए देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार, पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया।
चुनाव और परिणाम
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के कुल 781 सांसदों को मतदान का अधिकार था। इनमें से 767 सांसदों ने वोट डाले। 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 मत निरस्त घोषित किए गए।

गणना के बाद नतीजे सामने आए—
सी. पी. राधाकृष्णन: 452 वोट
बी. सुदर्शन रेड्डी: 300 वोट
इस तरह राधाकृष्णन ने निर्णायक बढ़त हासिल कर NDA की जीत सुनिश्चित कर दी। चुनाव परिणाम संसद के महासचिव और चुनाव अधिकारी पी. सी. मोदी ने घोषित किए।
क्रॉस-वोटिंग बनी चर्चा का विषय
परिणाम आने के बाद यह साफ हो गया कि विपक्ष की एकजुटता पूरी तरह कायम नहीं रह सकी। कई विपक्षी सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की, यानी विपक्षी उम्मीदवार को छोड़कर NDA प्रत्याशी को समर्थन दिया। यही वजह रही कि विपक्षी उम्मीदवार के मत अपेक्षा से कम आए। राजनीतिक हलकों में अब विपक्षी खेमे की अंदरूनी स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
सी. पी. राधाकृष्णन कौन हैं ?
तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन भाजपा के वरिष्ठ नेता और संगठन से जुड़े रहे हैं। वह दो बार कोयंबटूर से सांसद रह चुके हैं। हाल ही में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर कार्यरत थे। उनके राजनीतिक करियर की पहचान साफ छवि और संगठनात्मक क्षमता से होती है।
राधाकृष्णन लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी जुड़े रहे। उन्हें दक्षिण भारत से भाजपा का चेहरा माना जाता है। उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी नियुक्ति NDA की रणनीति का भी हिस्सा मानी जा रही है।
प्रतिक्रियाएँ
चुनाव जीतने के बाद राधाकृष्णन ने अपनी सफलता को “राष्ट्रीयतावादी विचारधारा की जीत” बताया। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाने में योगदान देना है। साथ ही उन्होंने लोकतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि “दोनों लोकतंत्र के दो पहिए हैं, जिनके बिना प्रगति संभव नहीं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि उनका अनुभव और दृष्टिकोण देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “राधाकृष्णन जी की जीत राष्ट्र की आकांक्षाओं की जीत है। वे राज्यसभा की गरिमा और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि राधाकृष्णन के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति कार्यालय नई ऊँचाइयाँ छुएगा।
संवैधानिक महत्व
यह चुनाव खास इसलिए भी रहा क्योंकि उपराष्ट्रपति पद रिक्त होने पर संविधान के अनुसार 6 महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से जुलाई 2025 में इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह उपचुनाव कराया गया।
उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वे राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके दायित्वों का निर्वहन करते हैं।