नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 आज का दिन भारत के लिए आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर कई अहम घटनाओं से भरा रहा। जहां सरकार ने कपास उद्योग से जुड़ा बड़ा निर्णय लिया, वहीं विदेश नीति के स्तर पर भारत और रूस की नजदीकियां तथा भारत–चीन संबंधों में सकारात्मक संकेत देखने को मिले। साथ ही, केरल से आई एक प्रेरणादायक खबर ने पूरे देश का ध्यान खींचा।
कपास पर आयात शुल्क हटाने का बड़ा फैसला
भारत सरकार ने देश के कपड़ा उद्योग को राहत देने के लिए कपास पर लगाया गया आयात शुल्क अस्थायी रूप से हटा दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब घरेलू स्तर पर कपास की उपलब्धता घट रही थी और उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही थी।

कपड़ा उद्योग, जो देश की अर्थव्यवस्था और निर्यात में अहम योगदान देता है, लंबे समय से कच्चे माल की कमी का सामना कर रहा था। इस निर्णय से उम्मीद है कि वस्त्र निर्माण की लागत कम होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल उद्योग को गति देगा, बल्कि लाखों कामगारों की आजीविका को भी सुरक्षित करेगा।
हालांकि, कपास उत्पादक किसानों ने चिंता जताई है कि इससे घरेलू बाजार में कीमतें नीचे आ सकती हैं। उनका मानना है कि सरकार को किसानों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य सुरक्षा उपाय भी लागू करने चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर का रूस दौरा
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का रूस दौरा इस समय सुर्खियों में है। यह यात्रा भारत–रूस संबंधों की गहराई को दर्शाती है और दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने का संकेत देती है।
दौरे के दौरान ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। रूस भारत का पारंपरिक सहयोगी रहा है, खासकर रक्षा क्षेत्र में। मौजूदा वैश्विक हालात में यह साझेदारी और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
जयशंकर ने रूस के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने, निवेश बढ़ाने और वैज्ञानिक सहयोग पर भी जोर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा भारत को बहुध्रुवीय दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा।
भारत–चीन संबंधों में सुधार के संकेत
लंबे समय से तनावपूर्ण रहे भारत–चीन संबंधों में अब सुधार की दिशा दिखाई देने लगी है। दोनों देशों ने हाल ही में व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने और नई उड़ान सेवाएं शुरू करने पर सहमति जताई है।
यह पहल ऐसे समय में आई है जब सीमा विवाद पूरी तरह सुलझा नहीं है। फिर भी, इस तरह के समझौते आपसी भरोसे को बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जानकारों का मानना है कि यह सकारात्मक कदम दोनों एशियाई दिग्गजों के रिश्तों में नई ऊर्जा भर सकता है।
केरल के 105 वर्षीय मौलवी की प्रेरणादायक कहानी
आज की सबसे मानवीय और प्रेरणादायक खबर केरल से आई। यहां 105 वर्षीय मौलवी एम.ए. अब्दुल्ला ने डिजिटल साक्षरता हासिल कर नई मिसाल कायम की है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र कभी भी सीखने में बाधा नहीं बन सकती।

अब्दुल्ला ने न केवल स्मार्टफोन और डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करना सीखा, बल्कि युवाओं को भी सीखने और आगे बढ़ने का संदेश दिया। उनकी यह उपलब्धि शिक्षा और तकनीक की शक्ति को उजागर करती है। यह कहानी देशभर में बुजुर्गों और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।