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भारत में Starlink को मिला सैटेलाइट इंटरनेट लाइसेंस

Star­link, जो अमेरिकी उद्यमी एलन मस्क की कंपनी SpaceX की एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, को भारत सरकार ने जून 2025 में एक बड़ा reg­u­la­to­ry स्वीकृति पत्र प्रदान किया। इस मंजूरी के तहत Star­link को भारत में Glob­al Mobile Per­son­al Com­mu­ni­ca­tion by Satel­lite (GMPCS) लाइसेंस मिला, जिससे वह अब देश में अपनी सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने के लिए अधिकृत हो गया है।

यह कदम भारत के दूरदराज़ और सीमांत क्षेत्रों में डिजिटल पहुँच को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।

Star­link की परिकल्पना एक ऐसे वैश्विक नेटवर्क के रूप में की गई थी, जो सैकड़ों और फिर हजारों लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों की मदद से दुनियाभर में इंटरनेट सेवा प्रदान कर सके। यह उपग्रह पारंपरिक भू-स्थैतिक उपग्रहों की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट स्थित होते हैं, जिससे इंटरनेट की गति तेज़ और विलंबता कम होती है।भारत जैसे विशाल देश में, जहां अभी भी करोड़ों लोग तेज़ और स्थिर इंटरनेट से वंचित हैं, Star­link जैसी सेवा एक गेम‑चेंजर साबित हो सकती है।

भारत में शुरुआती प्रयास और चुनौतियाँ

Star­link ने 2021 में भारत में प्रवेश की योजना बनाई थी और कंपनी ने सीमित प्री-ऑर्डर भी स्वीकार करना शुरू कर दिया था। लेकिन उस समय Star­link के पास भारत में काम करने के लिए कोई आधिकारिक लाइसेंस नहीं था। इस पर भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया और कंपनी को सभी प्री-बुकिंग तुरंत रद्द करने का निर्देश दिया।इसके बाद कंपनी ने भारत के दूरसंचार विभाग और अन्य नियामक संस्थाओं के साथ फिर से संवाद शुरू किया और सभी आवश्यक शर्तों को पूरा करने का भरोसा दिलाया।

लाइसेंस स्वीकृति

6 जून 2025 को, भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) ने Star­link को आधिकारिक तौर पर GMPCS लाइसेंस जारी किया। इसके साथ ही Star­link को भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने की वैधानिक अनुमति मिल गई।इस लाइसेंस के तहत कंपनी अब न केवल इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर सकेगी, बल्कि देश के भीतर उपग्रह गेटवे, यूज़र टर्मिनल और अन्य बुनियादी ढांचे की स्थापना भी कर सकेगी।Starlink भारत में यह लाइसेंस प्राप्त करने वाली तीसरी कंपनी बन गई है — इससे पहले OneWeb (जो भारती समूह से जुड़ी है) और Reliance Jio’s Jio Satel­lite Com­mu­ni­ca­tions को भी इसी श्रेणी का लाइसेंस मिल चुका है।

भारत सरकार की शर्तें

Star­link को भारत में काम करने के लिए कुछ अहम शर्तों को मानना पड़ा:

डेटा स्टोरेज: कंपनी को भारत में ही यूज़र डेटा स्टोर करने की बाध्यता को स्वीकार करना पड़ा।

सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग: भारत की सुरक्षा एजेंसियों को आवश्यकतानुसार डेटा एक्सेस देने की सहमति भी जरूरी थी।

IN-SPACe की मंजूरी: स्पेक्ट्रम और उपग्रह समन्वय के लिए कंपनी को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से अतिरिक्त अनुमतियाँ लेनी होंगी।

संभावित उपयोग और प्रभाव

Star­link की सेवा से भारत के उन क्षेत्रों को सीधा फायदा मिल सकता है जहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी आज भी एक सपना है — जैसे कि हिमालयी क्षेत्र, सुदूर ग्रामीण इलाके, जंगलों से घिरे गांव, और सीमावर्ती क्षेत्र।इस सेवा का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, दूरसंचार बैकअप, नौवहन (mar­itime), और यहां तक कि सैन्य संचार जैसे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। यह डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत सरकार की योजनाओं को बल देगा।विशेषज्ञों का मानना है कि Star­link की उपस्थिति से टेलीकॉम क्षेत्र में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और अन्य कंपनियाँ भी इस दिशा में आगे आएंगी।

लागत और प्रतिस्पर्धा

हालांकि तकनीक उन्नत है, लेकिन इसकी लागत भारतीय बाजार में एक चुनौती हो सकती है। भारत एक मूल्य‑संवेदनशील देश है, जहां इंटरनेट सेवा की औसत दरें विश्व में सबसे कम हैं।संभावना जताई जा रही है कि Star­link भारत सरकार या स्थानीय सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर कोई साझेदारी मॉडल अपनाए, ताकि लागत को संतुलित किया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य

2025 तक Star­link ने 6,000 से अधिक उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए हैं और दुनिया के 70+ देशों में अपनी सेवाएं दे रहा है। भारत जैसे विशाल और रणनीतिक बाजार में उसकी उपस्थिति SpaceX की वैश्विक योजनाओं को और गति देगी।

लोगो की प्रतिक्रियाएं

Star­link को भारत में लाइसेंस मिलने पर उद्योग जगत और नीति निर्माताओं से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं:विशेषज्ञों ने इसे डिजिटल समावेशन की दिशा में एक ठोस कदम बताया है।कई गैर‑सरकारी संगठनों ने आशा जताई है कि इससे ग्रामीण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं डिजिटल रूप से सशक्त होंगी।कुछ विश्लेषकों ने यह भी कहा कि यह भारत की तकनीकी संप्रभुता और सुरक्षा के बीच एक संतुलित कदम है।

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